Dream Girl Movie Review 2019:- एक लंबे समय से आयुष्मान खुराना अपनी भूमिकाओं में तरह-तरह के प्रयोग करने से हिचकते नजर नहीं आते। यही वजह है कि 'बरेली की बर्फी', 'शुभ मंगल सावधान', 'अंधाधुन', 'आर्टिकल 15' जैसी फिल्मों में उनकी विविधतापूर्ण भूमिकाएं देखने को मिलीं, जिन्होंने उन्हें बॉक्स ऑफिस सफलता के साथ-साथ राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिलाया। इस बार वह फर्स्ट टाइम डायरेक्टर राज शांडिल्य के निर्देशन की ड्रीम गर्ल में नजर आ रहे हैं और यहां भी उन्होंने अपने रोल के साथ एक्सपेरिमेंट किया है और लड़की की आवाज में मनोरंजन भी।
कहानी: मथुरा में अपने पिता जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) के साथ रहनेवाला युवा करम सिंह (आयुष्मान खुराना) बेरोजगारी से परेशान है। पिता परचून की दुकान चलाते हैं, मगर उनका घर गिरवी रखा हुआ है और उन पर कई बैंकों के लोन भी हैं। करम सिंह के साथ एक दूसरा मसला यह है कि वह बचपन से ही लड़की की आवाज बहुत ही खूबसूरती से निकालता है और यही वजह है कि बचपन से ही मोहल्ले में होनेवाली रामलीला में उसे सीता और कृष्णलीला में राधा का रोल दिया जाता है। अपनी भूमिकाओं से वह पैसे भी कमा लेता है और उसे पहचान भी खूब मिलती है, इसके बावजूद जगजीत सिंह को बेटे की इस कला से आपत्ति है। वह चाहते हैं कि करम सिंह कोई सम्मानित नौकरी पा जाए। नौकरी की ऐसी ही तलाश में करम सिंह को छोटू (राजेश शर्मा) के कॉल सेंटर में मोटी तनख्वाह पर जॉब तो मिल जाती है, मगर शर्त यह है कि उसे लड़की की आवाज निकालकर क्लाइंट्स से मीठी-मीठी प्यार भरी बातें करनी होंगी। कर्ज और घर की जरूरतों को ध्यान में रखकर वह पूजा की आवाज बनने को राजी हो जाता है। उसका यह राज उसके दोस्त स्माइली (मनजोत सिंह) के अलावा उसकी मंगेतर माही (नुसरत भरूचा) तक को पता नहीं। कॉल सेंटर में पूजा बनकर प्यार भरी बातें करने वाले करम की आवाज का जादू पुलिस वाले राजपाल (विजय राज ), माही के भाई महेंद्र (अभिषेक बनर्जी), किशोर टोटो (राज भंसाली), रोमा (निधि बिष्ट) और तो और खुद उसके अपने पिता जगजीत सिंह के सिर इस कदर चढ़कर बोलता है कि सभी उसके इश्क में पागल होकर शादी करने को उतावले हो उठते हैं। Dream Girl Movie Review 2019:-पहली बार निर्देशन की बागडोर संभालनेवाले राज शांडिल्य ने साफ-सुथरी कॉमिडी दी है। जाने-माने लेखक होने के नाते उन्होंने कहानी में हास्य और मनोरंजन के पल जुटाए हैं, मगर इसके बावजूद फर्स्ट हाफ उतना कसा हुआ नजर नहीं आता। मध्यांतर तक कहानी में कुछ ज्यादा घटित नहीं होता, हां सेकंड हाफ में कहानी अपनी रफ़्तार पकड़ती है और प्री-क्लाइमैक्स में कॉमिडी ऑफ एरर के कारण हंसाते हैं। स्क्रीनप्ले में भी कई जगह पर झोल नजर आता है। निर्देशक ने आयुष्मान-नुशरत के लव ट्रैक को डेवलप करने में भी खूब जल्दबाजी की है। फिल्म के अंत में राज शांडिल्य ने यह मेसेज देने की कोशिश की है कि सोशल मीडिया अनगिनत दोस्तों के दौर में हर आदमी अकेला है, मगर उनका यह मेसेज दिल को छूता नहीं है। आयुष्मान खुराना फिल्म में हिलेरियस साबित हुए हैं। पूजा के रूप में उनका वॉइस मोड्युलेशन और बॉडी लैंग्वेज हंसा-हंसा कर लोट-पोट कर देता है। उन्होंने दी हुई भूमिका के साथ हर तरह से न्याय किया है। नुसरत भरूचा को स्क्रीन पर बहुत ज्यादा मौका नहीं मिला है, इसके बावजूद उन्होंने अच्छा काम किया है। सहयोगी भूमिकाओं में अन्नू कपूर ने जगजीत सिंह की भूमिका में छक कर मनोरंजन किया है। पूजा के प्यार में मजनू बने अन्नू कपूर की कॉमिक टाइमिंग देखने योग्य है। मनजोत सिंह और विजय राज भी हंसाने में पीछे नहीं रहे हैं। अन्य भूमिकाओं में अभिषेक बनर्जी, निधि बिष्ट, राज भंसाली और दादी बनी सीनियार अभिनेत्री ने अच्छा काम किया है। मीत ब्रदर्स के संगीत में 'दिल का टेलिफोन', 'राधे राधे' गाने पसंद किए जा रहे हैं। इनकी कोरियॉग्राफी भी दर्शनीय है।
2 Comments
Hi
ReplyDeleteHello
Delete